दूर देखो, क्या दिखे?
क्षितिज के पास नदी के तट पर
एक हरियाली नजर में आती हैं।
सोचूँ जैसे जगत की सुंदरता
अजब से विलीन हो जाती है !
पुस्तक, पक्षी, विद्यालय, प्रगति,
शब्द तो कितने आते हैं।
मन के भवंडर, फवारे और समुन्दर,
सच को सुनकर थम जाते हैं ।
देखो वहां जहाँ समुन्दर का किनारा
पहाड़ों को धीमी पुकार में पुकारता है ।
लगता नहीं कि वहां होगा कोई ठिकाना
जहाँ लोग थैलियों भर सपनों का अनुभव करते हैं ।
और अब पूछोगे , कौनसे विचित्र चित्र
हमारे इन मित्रों के नेत्रों के सामने प्रकट होते हैं।
क्या परियां परीलोक से उड़ती है
या सूरज चाँद को मिलता है?
या फिर एक साधारण नजर फुलती है ,
जो तुम्हारी जिंदगी के तस्वीर निकलती है ।
एक संतुषट बच्चा, हृदय का सच्चा,
जो स्वछ व कुशल जीवन जीता है ।
क्षितिज के पास नदी के तट पर
एक हरियाली नजर में आती हैं।
सोचूँ जैसे जगत की सुंदरता
अजब से विलीन हो जाती है !
पुस्तक, पक्षी, विद्यालय, प्रगति,
शब्द तो कितने आते हैं।
मन के भवंडर, फवारे और समुन्दर,
सच को सुनकर थम जाते हैं ।
देखो वहां जहाँ समुन्दर का किनारा
पहाड़ों को धीमी पुकार में पुकारता है ।
लगता नहीं कि वहां होगा कोई ठिकाना
जहाँ लोग थैलियों भर सपनों का अनुभव करते हैं ।
और अब पूछोगे , कौनसे विचित्र चित्र
हमारे इन मित्रों के नेत्रों के सामने प्रकट होते हैं।
क्या परियां परीलोक से उड़ती है
या सूरज चाँद को मिलता है?
या फिर एक साधारण नजर फुलती है ,
जो तुम्हारी जिंदगी के तस्वीर निकलती है ।
एक संतुषट बच्चा, हृदय का सच्चा,
जो स्वछ व कुशल जीवन जीता है ।
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