हवा के साथ साथ, घटा के संग संग,
यूंही चलनेवाले राही ,
जिंदगी एक सुहाना सफर गुनगुनाने वाले!
गीत संगीत के शौकीन,
परिंदे, पर नादान नहीं,
उसी घटा के संग जो दिल चाहता हैं,
उसी हवा के साथ जहाँ जादू सा छाया,
१, २, ३,४, ५, ६, ७... अरे मुसाफिर,
थोड़ा सुर लगाया जाए !
ढिंका तपाद धींगड़ी पोपो!
थोड़ा हसो, भाई, मुस्कुराओ,
खुरेजना बंद करो,
जैसे हर गीत में नुस्के छिपे नहीं होते,
वैसे जिंदगी पहेली हमेशा न होती,
और कविता भूल भुलैया नहीं होती,
सरलता समझना कला हैं,
दोबारा पढ़ो जी,मेरा बोल बचन मना हैं!!
यूंही चलनेवाले राही ,
जिंदगी एक सुहाना सफर गुनगुनाने वाले!
गीत संगीत के शौकीन,
परिंदे, पर नादान नहीं,
उसी घटा के संग जो दिल चाहता हैं,
उसी हवा के साथ जहाँ जादू सा छाया,
१, २, ३,४, ५, ६, ७... अरे मुसाफिर,
थोड़ा सुर लगाया जाए !
ढिंका तपाद धींगड़ी पोपो!
थोड़ा हसो, भाई, मुस्कुराओ,
खुरेजना बंद करो,
जैसे हर गीत में नुस्के छिपे नहीं होते,
वैसे जिंदगी पहेली हमेशा न होती,
और कविता भूल भुलैया नहीं होती,
सरलता समझना कला हैं,
दोबारा पढ़ो जी,मेरा बोल बचन मना हैं!!
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